अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप। अर्थ : न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है. जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है. — निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, …
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